इस विस्तृत रिपोर्ट का उद्देश्य पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की जेल स्थिति, उनकी बहन को अचानक मिली मुलाक़ात की अनुमति, मानसिक प्रताड़ना के आरोपों और इसे घेरती राजनीतिक उथल–पुथल के बीच गहराते संकट का संपूर्ण और तथ्यपरक विश्लेषण प्रस्तुत करना है, जिसमें स्थिति से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी बिना किसी निष्कर्ष के रखी गई है।


मौत की अफ़वाहों और लगातार बढ़ती राजनीतिक अशांति के बीच परिवार को मिली सीमित पहुंच


पाकिस्तान में पिछले कई सप्ताह से इमरान खान की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर जिस तरह की अफवाहें और अटकलें तेज़ हो रही थीं, उसने न केवल राजनीतिक माहौल को अस्थिर किया, बल्कि उनके समर्थकों और परिवार के बीच गहरी चिंता भी पैदा कर दी। इसी पृष्ठभूमि में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया, जब रावलपिंडी स्थित अडियाला जेल प्रशासन ने इमरान खान की बहन उज़मा खानम को उनसे मुलाक़ात की अनुमति दी — वह अनुमति जिसे देने से अधिकारियों ने कई सप्ताह तक इनकार किया था।


उज़मा खानम जैसे ही जेल परिसर में दाखिल हुईं, बाहर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (PTI) के सैकड़ों समर्थक एकत्र हो चुके थे, जो जोरदार नारेबाज़ी करते हुए इमरान खान की स्थिति का “सबूत” माँग रहे थे। यह भी आरोप लगाया जा रहा था कि अदालत के आदेश के बावजूद परिवार और वरिष्ठ नेताओं को मुलाक़ात की अनुमति नहीं दी जा रही। मुलाक़ात के बाद, उज़मा खानम ने मीडिया से कहा कि खान “शारीरिक रूप से ठीक हैं”, लेकिन उन्हें “मानसिक प्रताड़ना” दी जा रही है, और इसके पीछे आर्मी चीफ़ आसिम मुनीर का हाथ होने का आरोप लगाया।


उधर, इमरान खान के बेटे कासिम खान ने पिछले सप्ताह कहा था कि उनके पिता को 845 दिनों से हिरासत में रखा गया है और पिछले छह हफ्तों से उन्हें “डेथ सेल” जैसी परिस्थितियों में अकेले रखा गया, जहाँ संचार के सभी साधन बंद हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि कई दिनों से उन्हें और उनके भाई को कोई प्रमाण नहीं मिला कि उनके पिता जिंदा हैं।


इसी तरह, खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री सोहैल अफरीदी ने भी कहा कि 27 अक्टूबर से किसी भी परिवारजन को न तो इमरान खान और न ही उनकी पत्नी बुशरा बीबी से मिलने दिया गया। इन आरोपों ने पाकिस्तान की राजनीतिक और न्यायिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।


इन सबके बावजूद, जेल प्रशासन यह दावा करता रहा कि इमरान खान “अच्छी सेहत” में हैं और मुलाक़ातों पर प्रतिबंध सुरक्षा कारणों से लगाए गए हैं। लेकिन PTI समर्थकों ने इन दावों को राजनीतिक षड्यंत्र बताते हुए खारिज कर दिया। पार्टी का कहना है कि मुलाक़ात की अनुमति केवल जनता के दबाव और बढ़ते विरोध को शांत करने के लिए दी गई, न कि किसी पारदर्शी प्रक्रिया के तहत।


स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि पंजाब सरकार ने रावलपिंडी में पुलिस बल की व्यापक तैनाती की। धारा 144 लागू कर दी गई, ताकि चार से अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लग सके। अडियाला रोड पर कई पुलिस थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसरों (SHO) समेत बड़ी संख्या में अतिरिक्त बल तैनात किया गया।


इमरान खान की स्थिति को लेकर असमंजस का यह माहौल लगातार PTI और सरकार के बीच तनाव को बढ़ा रहा है। पार्टी नेताओं का कहना है कि मुलाक़ात की अनुमति वर्षों पुराने लोकतांत्रिक अधिकारों को बहाल करने का प्रयास नहीं, बल्कि जनता के आक्रोश को शांत करने का अस्थायी कदम है। PTI ने यह स्पष्ट किया कि वे हालात पर लगातार नज़र रखेंगे और यदि मुलाक़ातें नियमित रूप से नहीं होने दी गईं, तो विरोध और तेज़ किया जाएगा।


लोकल मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हालात अभी और अधिक उग्र हो सकते हैं क्योंकि PTI आगामी दिनों में व्यापक प्रदर्शन की योजना बना रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह घटनाक्रम पाकिस्तान की राजनीति में लंबे समय तक असर छोड़ सकता है।


इमरान खान की बहन का दावा: “शारीरिक रूप से ठीक, मानसिक रूप से प्रताड़ित”— राजनीतिक तनावों की नई परत


उज़मा खानम की इमरान खान से मुलाक़ात ने राजनीतिक हलकों में नई हलचल पैदा कर दी। मुलाक़ात के बाद उन्होंने कहा कि खान ने स्पष्ट रूप से बताया कि उन्हें “मानसिक यातना” दी जा रही है। पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास को देखते हुए, जहाँ सैन्य–नागरिक रिश्ते हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं, यह आरोप भारी राजनीतिक महत्व रखता है।


उज़मा खानम ने कहा कि वह अपनी बहनों अलीमा खान और नoreen खान से परामर्श कर विस्तृत बयान देंगी। दोनों बहनें भी कई दिनों से अपने भाई की स्थिति पर चिंता जता रही थीं। परिवार का कहना है कि मुलाक़ात अधिकारों को रोकना न केवल मानवीय अधिकारों का हनन है बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है।


PTI ने यह कहा कि इमरान खान को निर्णय–निर्माण प्रक्रियाओं से दूर रखने और उन्हें मानसिक रूप से दबाव में रखने की कोशिश की जा रही है, ताकि चुनावी प्रक्रिया पर असर पड़े। यह भी कहा गया कि इमरान खान जैसे लोकप्रिय नेता को परिवार से अलग करके उनकी राजनीतिक क्षमता को कमजोर करने का प्रयास हो सकता है।


सरकार और जेल प्रशासन इन आरोपों को खारिज करते हैं, लेकिन सुरक्षा के नाम पर लगातार मीडिया और परिजनों के संपर्क पर रोक ने संदेह को और गहरा कर दिया है। सोशल मीडिया पर भी खान की स्थिति को लेकर व्यापक चर्चा हो रही है, जिसमें उनकी सेहत, उनकी कैद की परिस्थितियों और उन्हें मानसिक रूप से दबाव में लेने के आरोप प्रमुख हैं।


राजनीतिक टिप्पणीकारों का कहना है कि किसी भी राजनीतिक बंदी पर मानसिक दबाव डालना लंबे समय में राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ाता है। इमरान खान की लोकप्रियता और उनके समर्थकों की बड़ी संख्या यह संकेत देती है कि किसी भी अप्रिय घटनाक्रम से व्यापक विरोध पैदा हो सकता है।


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